Monday, March 29, 2010

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं

On the innocence of a young boy, and the trying questions he poses to the adult. Background song, mixed with dialog, makes the presentation very moving.





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[तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं,
तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ मैं] - २

[जीने के लिए, सोचा ही नहीं, दर्द संभालने होंगे] - २
मुस्कुराये तो, मुस्कुरान के, दर्द उतारने होंगे 
मुस्कुराओं से भी तो लगता है जैसे होंटों पे क़र्ज़ रख्खा है


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[ज़िन्दगी तेरे, ग़म ने हमें, रिश्ते नये समझाए] - २ 
मिले जो हमें, धूप में मिले, छाओं के ठन्डे साए 
[... dialogue ... ]
तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं



... ♫ ♫ ♫ ♫ ...
[आँख अगर भर आये हैं बूँदें बरस जायेगी] - २ 
कल क्या पता किनके लिए आँखे तरस जायेगी  
जाने कब गम हुआ कहाँ खोया एक आंसू छुपा के रख्खा था
[... dialogue ... ]
तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं

तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ मैं

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