Friday, March 29, 2013

ज्योति कलश छलके

The raag is what attracted to me to the song first, and I subsequently discovered that it celebrates the onset of morning.




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ज्योति कलश छलके
हुए गुलाबी, लाल सुनहरे
रंग दल बादल के
ज्योति कलश छलके

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घर आँगन वन उपवन उपवन
करती ज्योति अमृत के सिंचन
[मंगल धट ढल के] - 2
ज्योति कलश छलके

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अम्बर कुमकुम कण बरसाये
फूल पखुरियों पर मुसकाये
[बिंदु तोहीं? जल के] - 2
ज्योति कलश छलके

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पात पात बिरवा हरियाला
धरती का मुख हुआ उजाला
[सच सपने कल के] - 2
ज्योति कलश छलके

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उषा ने आँचल फैलाया
फैली सुख की शीतल छाया
[नीचे आँचल के] - 2
ज्योति कलश छलके

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[जोति यशोदा, धरती गैया
नील गगन गोपाल कन्हैया] - 2
[श्यामल छवी झलके] - 2
ज्योति कलश छलके

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