Monday, October 03, 2011

ज़रा सी दिल में दे जगा तू

When you understand the variety of pleadings of the male with the female for her love, you wonder how spontaneous this feelings can be in real people. But, you have to appreciate the poet's attempt to capture these thoughts.

The manner in which the singing is punctuated by the screeching halt of the automobile, and the dialogue about betting in a game of cricket,
"When you are so good at betting, why don't you become a bookie yourself?",
you have to credit the Bollywood creativity!




... ♫ ♫ ♫ ♫ ...
ज़रा सी दिल में दे जगा तू
ज़रा सा अपना ले बना
ज़रा सा ख्वाबों में सजा तू
ज़रा सा यादों में बसा
मैं चाहूँ तुझको, मेरी जां, बेपनाह
फ़िदा हूँ तुझपे, मेरी जां, बेपनाह
... car screeching to a halt ...

... ♫ ♫ ♫ ♫ ...
ज़रा सी दिल में दे जगा तू
ज़रा सा अपना ले बना
ज़रा सा ख्वाबों में सजा तू
ज़रा सा यादों में बसा
... dialogue about betting on a game of cricket ...
.
.. ♫ ♫ ♫ ♫ ...
मैं तेरे, मैं तेरे, क़दमों में रख दूं ये जहां
मेरा इश्क दीवानगी
है नहीं, है नहीं, आशिक कोई मुझसा तेरा,
तू मेरे लिए बंदगी
मैं चाहूँ तुझको, मेरी जां, बेपनाह
फ़िदा हूँ तुझपे, मेरी जां, बेपनाह

... ♫ ♫ ♫ ♫ ...
कह भी दे, कह भी दे, दिल में तेरे जो है छुपा
ख़्वाहिश है जो तेरी
रख नहीं, रख नहीं, पर्दा कोई मुझसे, ये जां
करले तू मेरा यकीन
मैं चाहूँ तुझको, मेरी जां, बेपनाह
फ़िदा हूँ तुझपे, मेरी जां, बेपनाह
... ♫ ♫ ♫ ♫ ...

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