Wednesday, August 01, 2012

अभी, मुझ में कहीं, बाकी थोड़ी सी है ज़िंदगी

The poet describes three occasions, or three moments, that highlight
  1. The tenacity — लगन — that the human mind capable of 
  2. The compassion — रहम — that can exist in this world
  3. The prick, i.e., pain, — चुभन — that can be experienced when an attraction lights up in an otherwise desolate life
and has the character sing:
Whether I should feel a little happiness, or sadness
Whether I should die or live [a little].
Wonderful music using the violin. Very moving.



... ♫ ♫ ♫ ♫ ...
अभी, मुझ में कहीं, बाकी थोड़ी सी है ज़िंदगी
जागी, धड़कन नयी, जाना जिंदा हूँ मैं तो अभी
कुछ ऐसी लगन, इस लम्हे में है
ये लम्हा कहाँ था मेरा ...
अब है सामने, इसे छू लूँ ज़रा,
मर जाऊं या जी लूँ ज़रा
खुशियाँ छूम लूँ, या रो लूँ ज़रा
मर जाऊं या जी लूँ ज़रा

... ♫ ♫ ♫ ♫ ...
हो ... अभी, मुझ में कहीं, बाकी थोड़ी सी है ज़िंदगी

... ♫ ♫ ♫ ♫ ...
हो ...
धूप में जलते हुए तन को, छाया पेड़ की मिल गयी
रूठे बच्चे की हँसीं जैसे, फुसलाने से फिर खिल गयी
कुछ ऐसा ही अब महसूस दिल को हो रहा है
बरसों के पुराने ज़ख्मों पे मरहम लगा सा है
कुछ ऐसा रहम, इस लम्हे में है
ये लम्हा कहाँ था मेरा ...
अब है सामने, इसे छू लूँ ज़रा,
मर जाऊं या जी लूँ ज़रा
खुशियाँ छूम लूँ, या रो लूँ ज़रा
मर जाऊं या जी लूँ ज़रा

... ♫ ♫ ♫ ♫ ...
दूर से टूटी पतंग जैसी, थी ये ज़िन्दगानी मेरी
आज हूँ, कल हो मेरा न हो, हर दिन की कहानी मेरी
एक बंधन नया पीछे से अब मुझको बुलाये
आनेवाले कल की क्यों फ़िक्र मुझको सता जाए
एक ऐसी चुभन, इस लम्हे में है
ये लम्हा कहाँ था मेरा ...
अब है सामने, इसे छू लूँ ज़रा,
मर जाऊं या जी लूँ ज़रा
खुशियाँ छूम लूँ, या रो लूँ ज़रा
मर जाऊं या जी लूँ ज़रा

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