Sunday, July 15, 2012

चौदवीं का चाँद हो, या अफताब हो

Sonu Nigam's concert in San Jose on 23 June 2012 reminded of how beautiful this song is.

Description of a lover. The brilliance of the female [face] is likened to the full moon, sun, ... and the description culminates in "whatever you are, you are second to none."

Hair, face and lips are described, in poetic fashion.

[Note: You are recommended to understand the meaning before you enjoy the song in its fullest].



... ♫ ♫ ♫ ♫ ...
[चौदवीं का चाँद हो, या अफताब हो
जो भी हो तुम, खुदा की कसम, लाजवाब हो] - 2

... ♫ ♫ ♫ ♫ ...
[ज़ुल्फें हैं जैसे काँधों पे बादल झुके हुए] - 2
आँखें हैं जैसे में के प्याले भरे हुए
मस्ती है जिस में प्यार की तुम वो शराब हो
चौदवीं का चाँद हो, या अफताब हो
जो भी हो तुम, खुदा की कसम, लाजवाब हो
चौदवीं का चाँद हो ...

... ♫ ♫ ♫ ♫ ...
[चेहरा है जैसे झील में हँसता हुआ कँवल] - 2
या ज़िंदगी के साज़ पे छेड़ी हुई ग़ज़ल
जाने बहार तुम किसी शायर का ख्वाब हो
चौदवीं का चाँद हो, या अफताब हो
जो भी हो तुम, खुदा की कसम, लाजवाब हो
चौदवीं का चाँद हो ...

... ♫ ♫ ♫ ♫ ...
[होंटों पे खेलती हैं तबस्सुम की बिजलियाँ] - 2
सजदे तुम्हारी राह में करतीं हैं कैकशाँ
दुनिया-इ-हुस्नो इश्क का तुम ही शबाब हो
चौदवीं का चाँद हो, या अफताब हो
जो भी हो तुम, खुदा की कसम, लाजवाब हो
चौदवीं का चाँद हो ...

No comments: