Friday, September 10, 2010

ज्योत से ज्योत जगाते चलो

The poet writes a very simple set of lyrics to promote universal brotherhood, to suggest actions particularly when we meet the poor, unhappy, under-privileged, etc.


I first heard this song in Kargal, as shown in the map below.


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... ♫ ♫ ♫ ♫ ...

[ज्योत से ज्योत जगाते चलो] - 2
[प्रेम की गंगा बहाते चलो] - 2
[राह में आये जो दीन दुःखी] - 2
सबको गले से लगाते चलो
प्रेम की गंगा बहाते चलो

... ♫ ♫ ♫ ♫ ...

[कौन हैं ऊंचा, कौन है नीचा] - 2
सब में वह ही समाया
बेध भाव के झूठे भरम में
यह मानव भरमाया
धर्म ध्वजा ...
धर्म ध्वजा फहराते चलो
[प्रेम की गंगा बहाते चलो] - 2
[ज्योत से ज्योत जगाते चलो] - 2
[प्रेम की गंगा बहाते चलो] - 2

... ♫ ♫ ♫ ♫ ...

सारे जग के कण कण में है
दिव्य अमर एक आत्मा
एक ब्रह्म है, एक सत्य है
एक ही है परमात्मा
प्राणों से प्राण ...
प्राणों से प्राण मिलाते चलो
[प्रेम की गंगा बहाते चलो] - 2
[ज्योत से ज्योत जगाते चलो] - 2
[प्रेम की गंगा बहाते चलो] - 2

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