Friday, November 27, 2009

जब कोई बात बिगड़ जाए

TBA





(जब कोई बात बिगड़ जाए, जब कोई मुश्किल पड़ जाए
तुम देना साथ मेरा, ओ हम्नवाज़) - २
न कोई है, न कोई था, ज़िंदगी में, तुम्हारे सिवा
(तुम देना साथ मेरा, ओ हम्नवाज़) - २

(हो चांदनी जब तक रात, देता है हर कोई साथ
तुम मगर, अंधेरों में, न छोड़ना मेरा हाथ) - २
जब कोई बात बिगड़ जाए, जब कोई मुश्किल पड़ जाए
तुम देना साथ मेरा, ओ हम्नवाज़
न कोई है, न कोई था, ज़िंदगी में, तुम्हारे सिवा
तुम देना साथ मेरा, ओ हम्नवाज़

(वफादारी की वह रसमे, निभायेंगे हम तुम कसमें
एक भी साँस ज़िंदगी की, जब तक हो अपने बस में) - २
जब कोई बात बिगड़ जाए, जब कोई मुश्किल पड़ जाए
तुम देना साथ मेरा, ओ हम्नवाज़

All:
जब कोई बात बिगड़ जाए, जब कोई मुश्किल पड़ जाए
तुम देना साथ मेरा, ओ हम्नवाज़
न कोई है, न कोई था, ज़िंदगी में तुम्हारे सिवा
(तुम देना साथ मेरा, ओ हम्नवाज़) - २

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