Thursday, February 09, 2012

मैं कोई ऐसा गीत गाऊँ, के आरज़ू जगाऊँ

Wooing, Bollywood style, penned by जावेद अख़्तर.




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मैं कोई ऐसा गीत गाऊँ, के आरज़ू जगाऊँ
मैं कोई ऐसा गीत गाऊँ, के आरज़ू जगाऊँ, अगर तुम कहो

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(मैं कोई ऐसा गीत गाऊँ, के आरज़ू जगाऊँ, अगर तुम कहो) - 2
तुमको बुलाऊँ, ये पलके बिछाऊँ
कदम तुम जहाँ जहाँ रखो
ज़मीन को आसमान बनाऊँ
सितारों से सजाऊँ, अगर तुम कहो
मैं कोई ऐसा गीत गाऊँ, के आरज़ू जगाऊँ, अगर तुम कहो

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मैं तितलियों के पीछे भागूँ?
मैं जुगनुओं के पीछे जाऊँ?
यह रंग है, वह रोशनी है
तुम्हारे पास दोनों लाऊँ?
जितने खुश्बूंयें, ... ♫ ..., बागों में मिले
हाँ, जितने खुश्बूंयें, बागों में मिले
मैं लाऊँ, वहाँ पे, के तुम हो जहाँ
जहाँ पे एक पल भी टहरूँ
मैं गुलिस्ताँ बनाऊँ, अगर तुम कहो
मैं कोई ऐसा गीत गाऊँ, के आरज़ू जगाऊँ, अगर तुम कहो

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अगर कहो तो मैं सुनाऊँ
तुम्हे हसीँ कहानियां
सुनोगी क्या मेरी ज़बानी?
तुम एक परी की दास्ताँ?
या मैं करूँ, ... ♫ ..., तुम से बयाँ
... ♫ ... हाँ, या मैं करूँ, तुम से बयाँ
के राजा से रानी मिली थी कहाँ
कहानियों के नगर में, तुम्हे लेके जाऊँ, अगर तुम कहो
तुमको बुलाऊँ, ये पलके बिछाऊँ
कदम तुम जहाँ जहाँ रखो
ज़मीन को आसमान बनाऊँ
सितारों से सजाऊँ, अगर तुम कहो
मैं कोई ऐसा गीत गाऊँ, के आरज़ू जगाऊँ, अगर तुम कहो
आ, अगर तुम कहो

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