Wednesday, June 27, 2012

तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हे बनाया

One of the interesting things in this song's lyrics is the manner in which the male describes his lover's beauty:
What appreciation shall I show him/her [God], who made you [so beautiful]?
An indirect way of saying to her: "You are beautiful."



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[ये चाँद सा रोशन चेहरा, जुल्फों का रंग सुनेहरा
ये झील सी नीली आँखें, कोई राज़ है इन में गेहरा
तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हे बनाया] - 2

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एक चीज़ क़यामत भी है, लोगों से सुना करते थे
तुम्हे देख के मैंने माना वो ठीक कहा करते थे
है चाल में तेरी, ज़ालिम, कुछ ऐसी अदा का जादू
सौ बार सम्भाला दिल को, पर होके रहा बेताबू
तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हे बनाया
ये चाँद सा रोशन चेहरा, जुल्फों का रंग सुनेहरा
ये झील सी नीली आँखें, कोई राज़ है इन में गेहरा
तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हे बनाया

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[हर सुबह किरण की लाली, है रंग तेरे गालों का
हर शाम की चादर काली, साया है तेरे बालों का] - 2
साया है तेरे बालों का
तू बलखाती एक नदिया हर मौज तेरी अंगडाई
जो इन मौजों में डूबा, उसने ही दुनिया पायी
तारीफ़ करून क्या उसकी, जिसने तुम्हे बनाया
ये चाँद सा रोशन चेहरा, जुल्फों का रंग सुनेहरा
ये झील सी नीली आँखें, कोई राज़ है इन में गेहरा
तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हे बनाया

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मैं खोज में हूँ मंजिल की, और मंजिल पास है मेरे
मुखड़े से हटा दो आँचल, हो जाये दूर अँधेरे
हो जाए दूर अँधेरे
माना की ये जलवे कर देंगे मुझे दीवाना
जी भर के ज़रा मैं देखूँ, अंदाज़ तेरा मस्ताना
तारीफ़ करून क्या उसकी, जिसने तुम्हे बनाया
ये चाँद सा रोशन चेहरा, जुल्फों का रंग सुनेहरा
ये झील सी नीली आँखें, कोई राज़ है इन में गेहरा
[तारीफ़ करूँ क्या उसकी, जिसने तुम्हे बनाया] - 5

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