Saturday, October 23, 2010

दोस्त दोस्त न रहा, प्यार प्यार न रहा

A man is dejected because of betrayal by his friend.



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[दोस्त दोस्त न रहा, प्यार प्यार न रहा
ज़िंदगी हमें तेरा ऐतबार न रहा,
ऐतबार न रहा] - 2

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अमानातें मैं प्यार की गया था जिसको सौंपकर
वह मेरे दोस्त तुम ही थे, तुम ही तो थे
जो ज़िंदगी की राह में, बने थे मेरे हमसफ़र
वह मेरे दोस्त तुम ही थे, तुम ही तो थे
सारे भेद खुल गए, राज़दार न रहा
ज़िंदगी हमें तेरा ऐतबार न रहा,
ऐतबार न रहा

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गले लगी सहम सहम, भरे गले से बोलती
वह तुम न थी तो कौन था, तुम ही तो थी
सफ़र के वक़्त में पलक पे मोतियों को तोलती
वह तुम न थी तो कौन था, तुम ही तो थी
नशे की रात ढल गयी, अब खुमार न रहा
ज़िंदगी हमें तेरा ऐतबार न रहा,
ऐतबार न रहा
दोस्त दोस्त न रहा, प्यार प्यार न रहा
ज़िंदगी हमें तेरा ऐतबार न रहा,
ऐतबार न रहा
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