Friday, January 29, 2010

ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र

Simple summary of life, although through the eyes of an unhappy man.

"What kind of a journey is this life
That no one understands, no one learns about."






[ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र] - 2
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं
है ये कैसी डगर, चलते हैं सब मगर
कोई समझा नहीं, कोई जाना नहीं

ज़िंदगी को बहुत प्यार हमने दिया
मौत से भी मुहब्बत निभायेंगे हम
रोते रोते ज़माने में आये मगर
हँसते हँसते ज़माने से जायेंगे हम
जायेंगे पर किधर है किसे ये खबर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं

ऐसे जीवन भी हैं जो जिए ही नहीं
जिनको जीने से पहले ही मौत आ गयी
फूल ऐसे भी हैं जो खिले ही नहीं
जिनको खिलने से पहले फिज़ा खा गयी
है परेशान नज़र थक गए चारागर
कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं

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