Wednesday, January 20, 2010

भीगी भीगी रातों में ...

Playfulness induced by song and dance in the rain, in a manner that only Bollywood can come up with.





भीगी भीगी रातों में, मीठी मीठी बातों में,
ऐसी बरसातों में, कैसा लगता है?

ऐसा लगता है तुम बनके बादल मेरे बदन को भीगोगे,
मुझे छेड रहे हो ... छेड रहे हो

अंबर खेले होली, उइमा, भीगी मोरी चोली, हमजोली, हमजोली || २ ||
ओ पानी के इस रेले में, सावन के इस मेले में, छत पे अकेले में, कैसा लगता है?

ऐसा लगता है तुम बनके घटा अपने सजन को भीगोगे,
खेल रही हो ... खेल रही हो

ऐसा लगता है तुम बनके बादल मेरे बदन को भीगोगे,
मुझे छेड रहे हो ... छेड रहे हो

बरखा से बचालूँ तुझे, सीने से लगालूँ
आ छुपालूँ ... आ छुपालूँ || २ ||
दिल ने पुकारा देखो, रुत का इशारा देखो,
उफ़ ये नज़ारा देखो, कैसा लगता है, बोलो?

ऐसा लगता है कुछ हो जाएगा मस्त पवन के यह झोके, सैयां,
देख रहे हो? देख रहे हो?
ऐसा लगता है तुम बनके बादल मेरे बदन को भीगोगे,
मुझे छेड रहे हो ... छेड रहे हो

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