Monday, February 15, 2010

नूर-ऐ-खुदा

The poet brings out a recall of unhappy events, and a plea to God to produce justice, by the character in the film.

Other singers of this song are Shankar Mahadevan & Adnan Sami. (I could not fit these names in the Labels field). That Shankar Mahadevan has brought out a musical piece that sounds like an original Arabic singer's rendering, is a testament to the universal nature of music and, of course, to Shankar's musical abilities.





अजनबी मोड़ है, खौफ हर ओर है,
हर नज़र पे धुऑ छा गया
पल भर में जाने क्या खो गया

आसमान जर्द है, आहें भी सर्द है
तन से साया जुदा हो गया
पल भर में जाने क्या खो गया

साँस रुक सी गयी, जिस्म छिल सा गया
टूटे ख़्वाबों के मंज़र पे, तेरा जहाँ चल दिया

नूर-ऐ-खुदा नूर-ऐ-खुदा
तू कहाँ छुपा है हमें यह बता
नूर-ऐ-खुदा नूर-ऐ-खुदा
क्यों न हमसे नज़रे फिरा

नज़र-ऐ-करम फर्मा ही दे
दीनो धरम को जगा ही दे
जलती हुई तन्हाईयाँ ...
रूठी हुई परछाइयां
कैसी उडी यह हवा
छाया यह कैसा समा
रूह जम सी गई
वक़्त थाम सा गया

हर धड़कन को तलाश तेरी
तेरा मिलता नहीं है पता

खाली अँखे खुद से सवाल करें
अमन की चीख बेहाल करें
बहता लहू फ़रियाद करें
तेरा मिटता चालला है निशाँ
रूह जाम सी गई
वक़्त थाम सा गया

नूर-ऐ-खुदा नूर-ऐ-खुदा
आजकल तू कहाँ है बता
नूर-ऐ-खुदा नूर-ऐ-खुदा
क्या यह सच है की तू हम से खफा?

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