Tuesday, September 22, 2009

यह दौलत भी ले लो, यह शोहरत भी ले लो

Another Jagjit Singh melody.







यह दौलत भी ले लो यह शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वह कागज़ की कश्टी, वह बारिश का पानी
वह कागज़ की कश्टी, वह बारिश का पानी

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मुहल्ले की सबसे पुरानी निशानी
वह बुढ़िया जिसे बच्चे कहते है नानी
वह नानी की बातों में परियों का डेरा
वह चहरे की झुरियों में सदियों के फेरा
भुलाए नहीं भूल सकता है कोई
भुलाए नहीं भूल सकता है कोई
वह छोटी सी राते, वह लम्बी कहानी
वह छोटी सी राते, वह लम्बी कहानी

... ♫ ♫ ♫ ♫ ...

कड़ी धूप में अपने घर से निकलना
वह चिडिया वह बुलबुल वह तितली पकड़ना
वह गुडिया की शादी पे लड़ना झगड़ना
वह झूलों से गिरना वह गिर के संभालना
वह पीतल के छल्लों के प्यारे से तौफे
वह पीतल के छल्लों के प्यारे से तौफे
वह टूटी हुई चूडियों की निशानी
वह टूटी हुई चूडियों की निशानी

... ♫ ♫ ♫ ♫ ...

कभी रेत के ऊंचे तीलों पे जाना
कभी रेत के ऊंचे तीलों पे जाना
रेत के ऊंचे तीलों पे जाना
... जाना ... जाना ... जाना
कभी रेत के ऊंचे तीलों पे जाना
घरोंडे बनाना, बनाके मिटाना
वह मासूम चाहत की तस्वीर अपनी
वह ख़्वाबों खिलोना की जागीर अपनी
न दुनिया का गम था न रिश्तों के बंधन
न दुनिया का गम था न रिश्तों के बंधन
बड़ी खूबसूरत थी वो ज़िंदगानी

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